🌹गुरूजी- किसी को मार देने से न मरने वाले का भला होता है, न अन्य लोगो का।
असली उद्धार तो उसको बदल देने में है।
उसको दानव से मानव बना देने में है। उसकी पैशाचिक वर्तियां नष्ट कर देने में है; और यह काम बड़ी असीम मैत्री और करुणा से ही हो सकता है।
🌻भगवान् बुद्ध ने मैत्री और करुणा के बल पर ही भूले भटके लोगों को सही मार्ग पर आ सकने में सहायता प्रदान की। उसे सदा के लिए जीत लिया।
जैसे अंगुलिमाल जो संत पुरुष होकर शुद्ध चित्त से लोगों की सेवा में लग गया। सही माने में उसका उद्धार हुआ।
हिंसा से हिंसा पर विजय नहीं पायी जा सकती। वैर से वैर पर विजय नहीं पायी जा सकती।
अहिंसा और मैत्री से ही हिंसा और वैर को जीता जा सकता है।
🌷 प्यार और करुणा द्वारा किसी बुरे की बुराई को जीतने का प्रयत्न करते रहे। यह प्रयत्न तभी सफल हो सकता है जब हम अपने अंतर्मन की गंदगिओं को दूर करके उसे स्वच्छ और निर्मल बना लें।
🍁विपश्यना के सतत अभ्यास द्वारा आत्मविजयी बने, तृष्णा को जड़ से उखाड़ फेंके, आसक्तियों के बंधन से मुक्त हो जाएँ। इसी में हमारा मंगल है, कल्याण है, भला है।
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