Thursday, 10 August 2017

कुशल कर्म ही हमारा सही मंगल है।

"शुभ मुहर्त"

कुशल कर्म ही हमारा सही मंगल है। 

जब हम मन से, वाणी से या शरीर से कोई कुशल कर्म करते हैं तो प्रकर्ति के बंधे बंधाये अटूट नियमो के अनुसार उसके परिणाम स्वरुप देर सबेर कुशल परिणाम ही मिलते हैं।

🍁इसके विपरीत यदि हम अकुशल कर्म करें तो प्रकर्ति के अटूट नियमो के अनुसार उसके परिणाम अकुशल ही होते हैं। हमारा अमंगल ही होता है।

🌺 इसलिए धर्म को समझे, प्रकर्ति के नियमो को समझें।

जिस दिन, जिस क्षण, जिस मुहर्त में हमने शुभ कर्म किया वह हमारे लिये शुभ मुहर्त हो गया।

दुष्कर्म किया वह हमारे लिये अशुभ मुहर्त हो गया।

अतः महत्त्व अपने कर्मो को देना चाहिये। अपनी जीवनचर्या सुधारे। मंगल उसी में समाया हुआ है।

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