Saturday, 18 March 2017

जीवन में जब जब संकट आये, आंधी आये, तूफान आये, बेसहारापन आये तब तब धर्म की शरण ग्रहण करना सीखें।

🌹गुरूजी--साधको! जीवन में जब जब संकट आये, आंधी आये, तूफान आये, बेसहारापन आये तब तब धर्म की शरण ग्रहण करना सीखें।
बड़ी राहत मिलती है धर्म की शरण में।
जब आदमी के सभी सहायक कन्नी काट जाते है(leave him alone), सभी संबंधी बगले झाँकने लगते हैं, सभी सहयोगी तोते की तरह आँख बदल लेतें हैं, जन्म- जन्म के साथी मुँह मोड़ लेते हैं, सारा अपनापन हवा हो जाता है।
स्वजन- परिजन पराये बन जाते हैं।
ऐसे समय साधको ! एकमात्र धर्म ही सहायक होता है। धर्म ही बेड़े का काम करता है, द्वीप का काम करता है। धर्म की शरण ही सच्ची शरण होती है।जब दुर्बल व्यक्ति थका- मांदा होने के कारण अपने आप को बचाने के लिए हाथ- पाँव भी नही चला पाता, कहीं किसी और तिनके का भी सहारा नही पाता, तब धर्म ही कवच की तरह संरक्षक बन जाता है।
धर्म कभी धोखा नही देता, कभी विशवास घात नही करता, कभी नीचे की और नही धकेलता।
🌷साधको ! जरा धर्म के प्रति समर्पण करना तो सीखें।

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