"पंचशिल"
1)पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामी।
अर्थ:- मैं प्राणी हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता/करती हूँ।
2) अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामी !
अर्थ:- मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता/करती हूँ।
3) कामेसुमिच्छारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामी ।
अर्थ:- मैं व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता/करती हूँ।
4) मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामी !
अर्थ:- मैं मिथ्यावचन(झूठ) से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता/करती हूँ।
5) सुरामेरयमज्जपमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामी !
अर्थ:- मैं शराब, मदिरा, जुआ आदि से विरत रहने कि शिक्षा ग्रहण करता/करती हूँ।
💐शील का पालन💐
अनेक साधको के मामले में देखा है की जो लोग शील को महत्त्व नहीं देते है वे साधना के पथ पर प्रगति नहीं कर सकते।
ऐसे लोग सालो तक शिविरों में आ सकते हैं और ध्यान में अद्भुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं परंतु उनके दैनिक जीवन में कोई बदलाव नहीं आता है। वे अशांत और दुखी बने रहते है क्योंकि वे अन्य खेलो के समान विपश्यना के साथ भी खेल खेलते हैं। वे लोग सचमुच हानि उठाते हैं, व्यर्थ समय खोते हैं।
🌷जो लोग धर्म के द्वारा अपने जीवन में भले के लिये परिवर्तन लाना चाहते हैं उनको यथासंभव सावधानीपूर्वक शील का पालन करना ही चाहिये।
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