Thursday, 17 May 2018

कोजागरी पूर्णिमा के महत्त्व के बारे में बताएं?

🌹गुरूजी आप उत्सवो को मनाने के बारे में इतनी अच्छी तरह समझाते हैं, आज कोजागरी पूर्णिमा के महत्त्व के बारे में बताएं?

उत्तर--पुराने जमाने में वर्षा ऋतू को यात्रा के अनुकूल नही मानते थे। तो भिक्षु, सन्यासी, मुनि एक ही स्थान पर, किसी विहार में बैठ कर अपना ध्यान करते।
वर्षा समाप्त होते ही बड़ा उत्सव मनाया जाता।अब जो अनाज उगाया था वह प्रकट हो रहा है। तो उसकी जो पूर्णिमा होती थी, उस दिन सारे लोग एकत्र होकर आठ शील का पालन करते थे, दान देते थे, साधना करते थे।
ध्यान करेंगे तो रातीन्दिवमत्न्दितो यानी रात और दिन का ध्यान होना चाहिये तो सारी रात जाग करके ध्यान करेंगे। यह जागरण तब से चला।

💐भिक्षुओ के लिये तो अनेक बार रात भर साधना करने का विधान है।पर गृहस्थ इतना कैसे करें? अतः एक दिन उनको ऐसा मिला की जिसमे वे एक बार भोजन करते हैं और बाकि समय रात- दिन केवल ध्यान करेंगे।रात भर जागते हुए ध्यान करेंगे तो यह जागरण की रात हुई। और जागरण का धर्म में इतना बड़ा महत्त्व है।
जागता हुआ भी ध्यान कर रहा है।और ध्यान कर रहा है तो सुबह उठेगा तो ऐसे फ्रेश होकर उठेगा जैसे खूब गहरी नींद सोकर उठा हो

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